FAQ

राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार दिनांक लिखना सभी बैंक उपकरणों (धनादेश, डीडी आदि.) पर RBI द्वारा मान्य और अनुमोदित है। RBI परिपत्र के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया हमारे वेबसाइट पर देखे FAQ नं. 2.

राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार धनादेश पर दिनांक लिखने के लिये इन चरणों का पालन करें :
1. दिनांक को छोड़कर पहले अपने धनादेश पर सभी आवश्यक जानकारी लिखें।
2. फिर, सत्यापित करें कि भारतीय राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार आज की दिनांक क्या है। यदि आप इसे नहीं जानते हैं, तो या तो आप हमारी वेबसाइट या हमारे Android ऐप  इस स्थानों पर जाएँ और इसे देखें।
इसके अलावा, आप दिनांक देखने के लिए अपने Android फ़ोन पर Google कैलेंडर के साथ राष्ट्रीय दिनदर्शिका सेट कर सकते हैं। इस सेटिंग को करने के लिए कृपया हमारे FAQ नंबर 4  को देखें।
3. अब अपने चेक पर वांछित दिनांक लिखें जैसा कि नीचे दी गई नमूना छवि में दिखाया गया है।

(विभिन्न प्रकार के दिनांक प्रारूप स्वीकृत धनादेश उदाहरण के लिये इसी कड़ी में अंत में देखें।)
4. अब, आपका धनादेश भारतीय राष्ट्रीय दिनांक के साथ तैयार है। आप इसे बैंक में जमा कर सकते हैं।



कृपया अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें :
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, दिनांक अंग्रेजी या हिंदी (देवनागरी) में हो सकती है। राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार दिनांक लिखने के लिए आप निम्न दो में से किसी एक प्रारूप का उपयोग कर सकते हैं।

प्रारूप 1. यदि आप दिनांक कॊ DD-MM-YYYY प्रारूप में लिखना
प्रारूप 2. यदि आप महीने के नाम का उपयोग करने जा रहे हैं, तो यह उल्लेख करना अनिवार्य नहीं है कि यह एक राष्ट्रीय दिनांक है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि यह दिनांक राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार है इसका उल्लेख/निर्देश करे क्योंकि अधिकांश बैंक कर्मचारी राष्ट्रीय दिनदर्शिका के बारे में परिचित/जागरूक नहीं हैं।

उदाहरण : अगर आप '15 अग्रहायण 1942' यह दिनांक लिखना चाहते हैं तो निम्न में से किसी एक की तरह आप लिख सकते हो :
   15 AGHN 1942
   15 Agrahayan 1942
   15 अग्रहायण 1942
   INC 15 Agrahayan 1942
   INC 15 AGHN 1942
   INC १५ अग्रहायण १९४२
   INC 15 अग्रहायण 1942
   Saur 15 Agrahayan 1942
   सौर दिनांक 15 अग्रहायण 1942
   राष्ट्रीय दिनांक 15 अग्रहायण 1942

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि महीने के नाम के संक्षिप्त रूपों का उपयोग करें यदि आप अंग्रेजी नाम का उपयोग करते हैं तॊ, जैसे कि Agrahayan कॆ लियॆ AGHN. महीने के नाम के संक्षिप्त रूप जिन्हें भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा इस सार्वजनिक परिपत्र के तहत मानांकित किया गया है ताकि प्रक्रिया में सरलता लाई जा सके।

आपकी सुविधा के लिए हम वही सूची प्रदान कर रहे हैं।
Source : Circular No. : 8/2/88-public MHA New Delhi. Dt.27 July 1988 (Page 01, 02, 03)
Short forms of National Calendar Months
 Shortform Month Name
 CHIR   Chaitra
 VYSK   Vaisakha
 JYST   Jyaistha
 ASAR   Asadha
 SRVN   Sravana
 BHDR   Bhadra
 ASVN   Asvina
 KRTK   Kartika
 AGHN   Agrahayana
 PAUS   Pausa
 MAGH   Magha
 PHGN   Phalguna

अधिक विभिन्न प्रकार के दिनांक प्रारूप स्वीकृत चेक उदाहरण यहां हैं :



जी हां! देश भर में सभी बैंक और उनके सभी शाखाओं को आरबीआई के तरफ से अधिकारिक तौर पर आदेश पारित किया गया है। भुगतान के लिए राष्ट्रीय दिनदर्शिका (शक संवत) के अनुसार दिनांक वहन करने वाले चेक की स्वीकृति के बारे में निर्देश दिए गए है।
आपके अधिक जानकारी के लिए हम नीचे उसी मास्टर सर्कुलर Para No. 5.7.4 का जैसे हैं वैसे पेश कर रहे है।

अधिकारिक संकेत स्थल : RBI Master Circular



Master Circular on Customer Service in Banks

RBI/2015-16/59
DBR No.Leg.BC. 21/09.07.006/2015-16

July 1, 2015
Ashadha 10, 1937

All Scheduled Commercial Banks
(Excluding RRBs)

 

5.7.4   Acceptance of cheques bearing a date as per National Calendar (Saka Samvat) for payment

Government of India have accepted Saka Samvat as National calendar with effect from 22 March 1957 and all Government statutory orders, notifications, Acts of Parliament, etc. bear both the dates i.e., Saka Samvat as well as Gregorian Calendar. An instrument written in Hindi having date as per Saka Samvat calendar is a valid instrument. Cheques bearing date in Hindi as per the National Calendar (Saka Samvat) should, therefore, be accepted by banks for payment, if otherwise in order. Banks can ascertain the Gregorian calendar date corresponding to the National Saka calendar in order to avoid payment of stale cheques.

इसके अलावा, राष्ट्रीय दिनदर्शिका के अनुसार दिनांक वाले बैंक उपकरणों को स्वीकार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन करने के लिए संबंधित बैंक पत्रों और इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) के परिपत्र की सूची निम्नलिखित है :

- RBI Master Circular Letter on Saka Date
- Idian Bank Association (IBA) Circual CIR-RB-6547
- Bank of Baroda Jan 2013 - English
- Bank of Baroda Jan 2013 - Hindi
- Bank Of Maharashtra Jan 2013
- Deutsche Bank July 2012
- ICICI Bank Jun 2011
- Axis Bank July 2012

आपकी जानकारी के लिए हम यहाँ पिछले दो RBI मास्टर सर्कुलर उपलब्ध करा रहे हैं :

2014-15

RBI/2014-15/72
DBOD No.Leg.BC.21/09.07.006/2014-15

July 1, 2014
Ashadha 10, 1936

RBI Master Circular URL

2013-14

RBI/2013-14/69
DBOD No.Leg.BC. 22/09.07.006/2013-14

July 1, 2013
Ashadha 10, 1935

RBI Master Circular URL



अभी हम निम्नलिखित 2 प्रकार की दिनदर्शिका प्रदान करते हैं:

1. छोटी दिनदर्शिका ( 14" x19" )


2. बड़ी दिनदर्शिका ( 20" x28" )




हाँ, हम राष्ट्रीय दिनदर्शिका को गूगल दिनदर्शिका में सेट कर सकते हैं। इसे सेट करने के लिए नीचे दिए गए 6 चरणों का पालन करें।
सूचना: दिए गए चरणों को एंड्रॉइड 7.0 पर नवीनतम अपडेट (मई 2020 +) और Google कैलेंडर संस्करण 2020.52.0-349198216-रिलीज़ के साथ सत्यापित किया गया है। अगर आपको अपने मोबाइल पर दिए गए स्टेप्स नहीं मिलते हैं तो आपको सबसे पहले संबंधित चीजों को अपडेट करना होगा।

1. अपने मोबाइल पर गूगल कैलेंडर एप्लिकेशन खोलें और अधिक विकल्प पैनल खोलने के लिए तीन लाइनों पर क्लिक करें। निचे प्रतिकृति में देखें


2. सेटिंग्स विकल्प का पता लगाने के लिए नीचे स्क्रॉल करें और उस पर क्लिक करें।

3. सेटिंग पृष्ठ में जनरल विकल्प पर क्लिक करें।

4. अब जनरल विकल्प पृष्ठ में आल्टरनेट कैलेंडर विकल्प पर क्लिक करें।

5. अब कैलेंडर की उपलब्ध सूची में से भारतीय शका विकल्प चुनें।

6. हो गया। अब मुख्य पृष्ठ पर वापस आएं और अपने दिनदर्शिका में महीने और दिनांक की जाँच करें जिसमें ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ राष्ट्रीय दिनदर्शिका भी होगी।




भारत सरकार ने अपने देश की दिनदर्शिका तय करने के लिए १९५१-५२ साल में एक समिति नियुक्त की थी। इस समिति ने अपने अहवाल में देश के लिए एक दिनदर्शिका की सिफारिश की थी। जों सूर्य की स्थिति (भ्रमण) पर आधारित है। इसी लिए इस दिनदर्शिका को सौर दिनदर्शिका कहा जाता है । मेघनाद साहा समिती द्वारा मतलब, यह दिनदर्शिका किसी भी निजी व्यक्ति, कंपनी, धर्म, संप्रदाय से संबंधित नहीं है। यही कारण है कि मेघनाद साहा समिति द्वारा निर्देशित दिनदर्शिका एक राष्ट्रीय दिनदर्शिका (कैलेंडर) है । सरकार ने कैलेंडर समिति द्वारा निर्देशित दिनदर्शिका को मंजूरी दी। इस दिनदर्शिका को १ चैत्र १८७९ (२२ मार्च, १९५७) को अपनाया गया ।




हाँ, राष्ट्रीय प्रतीकों में इसका समावेश है। राष्ट्रगीत, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रीय प्राणी, राष्ट्रीय पक्षी तथा अन्य जैसे हमारे राष्ट्रीय प्रतिक है, उसी तरह राष्ट्रीय दिनदर्शिका राष्ट्रीय प्रतिक हैं । और उसे राष्ट्रीय प्रतिको में शामिल किया गया है।

आप भारत सरकार के अधिकृत वेबसाइट पर इसे देख सकते है। https://knowindia.india.gov.in/national-identity-elements/




सबसे पहले आपके सवाल में 'अंग्रेजी दिनदर्शिका' इस वाक्य के बारे मे एक महत्त्व पूर्ण बात बताना आवश्यक है। असल में अंग्रेजी दिनदर्शिका, मराठी दिनदर्शिका ऐसा नहीं है। दुनिया के किसी भी दिनदर्शिका यानि की कालगणना प्रकार या तो सूर्य पर या फिर चन्द्रमा पर आधारित होता है। इसका अर्थ यह हुआ की, दिनदर्शिका के मूलतः दो प्रकार होते है। कोई भी दिनदर्शिका या तो सौर दिनदर्शिका है या फिर चंद्र दिनदर्शिका होती है।

अंग्रेजी दिनदर्शिका यानी जिसके माह जनवरी से दिसम्बर होते है यह दिनदर्शिका और राष्ट्रीय दिनदर्शिका यह दोनों भी सौर गणना पर आधारित है। इन दोनों दिनदर्शिका मे यह महत्व पूर्ण समानता है। दोनों दिनदर्शिका सौर दिनदर्शिका होने के कारण इनमे दिनों की गिनती यह पृथ्वी के सूरज भ्रमण पर आधारित है, इसलिए हर वर्ष ३६५ दिन का होता है। हर ४ साल में आनेवाला वर्ष यह लिप वर्ष होता है जिसमे ३६६ दिन होते है। हर दिन २४ घंटो का होता है, और दिन की शुरुवात रात के १२ बजे से होती है। आप जिसे अंग्रेजी दिनदर्शिका कहते है वह ग्रेगोरियन दिनदर्शिका के नाम से पहचाना जाता है और भारत सरकर द्वारा मान्यता प्राप्त दिनदर्शिका को राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका के नाम से पहचाना जाता है।




ग्रेगोरियन दिनदर्शिका के १२ माह के नाम जनवरी से दिसंबर तक होते हैं यह आप जानतेही है। राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका के १२ माह के नाम क्रमशः - चैत्र, वैशाख, जेष्ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्र, आश्विन, कार्तिक, अग्रहायण, पौष, माघ, फाल्गुन ऐसे हैं।

इस राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका के माह के नाम से आपने जाना ही होगा की यह नाम भारतीय पंचांग जो की चंद्र पर आधारित होता है उसके माह के नामसे साधर्म्य रखता है। केवल चन्द्रमाह भाद्रपद और मार्गशीर्ष के लिए सौर माह क्रमशः भाद्र और अग्रहायण कहलाते है।

राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका यह अधिक शास्त्रीय होने के कारण और भी कुछ फरक है, जो हम बाकि FAQ में देखेंगे।




आप जानते है की पृथ्वी सूरज की चारों ओर भ्रमण करती है। इस पृथ्वी भ्रमण मार्गसे हमें यह भासमान होता है की एक वर्ष में सूरज १२ राशिओंसे होता हुआ गुजरता है और हर राशी में सूर्य लगभग ३० दिन रहता है।

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस वक्त सूर्य १८० अंश विरुद्ध नक्षत्र में होता है। मतलब सूर्य वसंत संपात बिन्दुपर मेष राशि में अश्विन नक्षत्र में होता है तब पूर्णिमा का चंद्र चित्रा नक्षत्र में होता है। इसलिए मेष राशि के सौरमाह का नाम चैत्र है. इसतरहसे सभी सौर माह के नाम दिएगये है।

राष्ट्रीय दिनदर्शिका की मान्यता भारत सरकार ने देने तक भारतीय जन मानसमे प्रचलित चंद्र पर आधारित लगभग ३० से अधिक पंचांग थे। इन सभी पंचांग के माह के नाम लगभग समान थे। कैलेंडर समितिने इसी चंद्र माह के नाम जो की नक्षत्रके नाम होते है उनका ही चयन करनेका तय किया। इसतरह माह के नाम ग्रेगोरियन दिनदर्शिका के तरह किसी व्यक्ति विशेष के नाम से या किसी पौराणिक कथा पर आधारित नहीं है।




राष्ट्रीय दिनदर्शिका का वर्ष सौर चैत्र माह के पहले दिन से शुरू होता है। वर्ष को शालिवाहन शक के क्रमांक से पहचाना जाता है।

कृपया यह जानले की भारतीय पंचांग यानि चंद्र माह १ चैत्र और सौर १ चैत्र एक नहीं है।

यह सौर १ चैत्र का दिन वसंत सम्पात बिंदु यानि जिस दिन पृथ्वी पर रात और दिन सम - समान मतलब १२ - १२ घंटे का होता है उसी दिन शुरू होता है। ग्रेगोरियन दिनदर्शिका के अनुसार यह २२ मार्च होता है और लिप वर्ष में यह २१ मार्च का दिन होता है।




हाँ, राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका में भी लीप वर्ष होता है। राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका के शक वर्ष में ७८ मिलाइये और आनेवाला कुल अगर ४ से पुर्ण भागित हो, तो उसे लीप वर्ष होता है।

उदाहरण के तौर पर यदि शक १९४२ में ७८ मिलाने से कुल २०२० आता है। अब २०२० को ४ से भाग दे तो इसे पुर्ण भाग होता है। इसलिए शक १९४२ वर्ष लीप वर्ष हुआ। संक्षेप में, जो ग्रेगोरियन वर्ष लीप वर्ष है उस वर्ष को सौर चैत्र से शुरू होने वाले राष्ट्रीय सौर वर्ष को भी लीप वर्ष लिया जाएं।




राष्ट्रीय सौर वर्ष में कुल मिलाकर ३६५ दिन होते है, अगर सौर वर्ष लीप वर्ष हो तो उस वर्ष में ३६६ दिन होते है।

राष्ट्रीय सौर वर्ष के वैशाख से भाद्र ये पाँच माह ३१ दिन के होते है और बाकि सभी ७ माह ३० दिन के होते है। अगर सौर वर्ष लीप वर्ष हो तो उस वर्ष में प्रथम माह चैत्र माह ३१ दिन का होता है।




आप जानते है की पृथ्वी सूरज की चारों ओर भ्रमण करती है। यह पृथ्वी भ्रमण मार्ग लंब वर्तुलाकार है। सूर्य इस लंब वर्तुलाकार के मध्य से थोड़ा हटके होनेसे और पृथ्वी भ्रमण मार्ग लंब वर्तुलाकार होनेसे, वर्ष में सूर्य और पृथ्वी के बीच का अंतर एक सा नहीं होता है। इस भ्रमण मार्ग पर ६ प्रमुख बिंदु में से दो प्रमुख बिंदु, जिस बिन्दुपर दिन और रात सम - समान होते है। इन दो बिंदु को वसंत सम्पात और शरद सम्पात कहते है।

पृथ्वी को वसंत सम्पात से शरद सम्पात के बिच भ्रमण करने मे ज्यादा समय लगता है इस लिये इस बिच के माह में ३१ दिन होते है।

यह एक और शास्त्रीय कारण है जो ग्रेगोरियन दिनदर्शिका के तुलना मे राष्ट्रीय सौर दिनदर्शिका अधिक शास्त्रीय है।




हां, प्रत्येक राज्य सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय दिनदर्शिका प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए है। इस संबंध में, केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने 2 कार्तिक 1878 (24 अक्टूबर 1956) में परिपत्रक जारी किया गया है।

इस परिपत्रक में यह कहा गया है कि, सभी राज्य सरकारें समिति द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय दिनदर्शिका को आधिकारिक रूप से सरकारी कामकाज में 1 चैत्र 1879 (22 मार्च 1957) से लागू किया जाना चाहिए। और सरकार द्वारा जारी किए गए दिनदर्शिका में हर वर्ष में राष्ट्रीय दिनदर्शिका की दिनांक ग्रेगोरियन दिनांक के साथ देनी चाहिए।

परिपत्रक :
 द्वारा : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारत
 क्रमांक : F,68/56-Pub.I
 जारी की हुई दिनांक : 2 कार्तिक 1878 (24 अक्टूबर 1956)
 No. of pages : 2
 यहाँ पर उपलब्ध है : पन्ना 01, 02

आधिकारिक रूप से कार्यालयीन कामकाज में भी उपयोग के लिए उन्होंने कार्यालय ज्ञापन प्रकाशित किया है।

कार्यालय ज्ञापन परिपत्रक :
 द्वारा : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारत
 क्रमांक : F,42/16/57-Pub.I
 जारी की हुई दिनांक : 22 अग्रहायण 1879 (13 दिसंबर 1957)
 No. of pages : 1
 यहाँ पर उपलब्ध है : पन्ना 01

फिर से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार 23 चैत्र 1889 (13 अप्रैल 1967) सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय दिनदर्शिका को अपनाने पर पुनः प्रकाशित परिपत्रक द्वारा निर्देश दिए गए। इतना ही नहीं बल्कि भारत सरकार के सभी मंत्रालय को भी परिपत्र दिया गया है।

पुनः प्रकाशित परिपत्रक :
 द्वारा : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारत
 क्रमांक : F,9/14/66-Pub.II
 जारी की हुई दिनांक : 23 चैत्र 1889 (13 अप्रैल 1967)
 No. of pages : 1
 यहाँ पर उपलब्ध है : पन्ना 01

पुनः प्रकाशित परिपत्रक :
 द्वारा : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, भारत
 क्रमांक : F,8/2/88-Public
 जारी की हुई दिनांक : 5 श्रावण 1910 (27 जुलाई 1988)
 No. of pages : 3
 यहाँ पर उपलब्ध है : पन्ना 01, 02, 03